आप चाहे दुनिया के किसी भी देश में रहते हैं पर आपको अपनी स्थानीय सरकार के अनुसार टैक्स का भुगतान करना होता है। टैक्स कई प्रकार के होते हैं जैसे स्टेट टैक्स (State Tax), सेंटर गवर्नमेंट टैक्स (Center Government Tax), डायरेक्ट टैक्स (Direct Tax), इनडायरेक्ट टैक्स (InDirect Tax) आदि। यदि आप भी जानना चाहते हैं कि भारत में टैक्स कितने प्रकार के होते हैं? | Bharat Mein Tax Kitne Prakar Ke Hote Hain? तो इस लेख में आपको इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त होगी।
टैक्स क्या है? (Tax Kya Hai In Hindi)
कर वह धन है जो हम सरकार को उसकी सेवाओं के लिए भुगतान करते हैं। कर प्रणाली सरकारों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और कानून प्रवर्तन जैसी सार्वजनिक सेवाओं को निधि देने के लिए लोगों से धन एकत्र करने का एक तरीका है।
टैक्स शब्द लैटिन भाषा के शब्द “टैक्सों” से लिया गया है। आप से लिया गया टैक्स का उपयोग सार्वजनिक हित के कार्यों के लिए किया जाता है। टैक्स एक अनिवार्य शुल्क है जो सरकार द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था पर राजस्व जुटाने के लिए लगाया जाता है।
इनकम टैक्स क्या है? (Income Tax Kya Hai)
आयकर भारत में रहने वाले लोगों की आय पर लगाया जाने वाला कर है।
आयकर राष्ट्रीय कर का एक रूप है जो भारत सरकार द्वारा किसी व्यक्ति की आय, लाभ या उसके स्वामित्व वाली किसी भी संपत्ति से प्राप्त लाभ पर लगाया जाता है। भारत में, भारतीय राजस्व सेवा (IRS) द्वारा आयकर एकत्र किया जाता है और यह केंद्रीय राजस्व का हिस्सा है।
अपना आयकर भरने के लिए आपको साल के आखिरी में आइटीआर फाइल (ITR File) करना पड़ता है इसके जरिए आपके द्वारा दिया गया टैक्स केंद्र सरकार के पास पहुंच जाता है।आपके द्वारा भरे गए इनकम टैक्स की वजह से ही हमें मूलभूत सुविधाएं प्राप्त होती है।
इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax Slab) (नई टैक्स रेजिम)
भारत में सभी नागरिकों पर एक जैसा टैक्स लागू नहीं होता है। नियम के अनुसार आपकी आय जितनी अधिक होगी उतना अधिक आपको टैक्स का भुगतान करना होगा। इसी कारण सरकार आयकर स्लैब के उपयोग से टैक्स को निर्धारित करती है। इनकम टैक्स स्लैब निम्नलिखित है:
व्यक्तिगत कुल आय | टैक्स की दर |
2.5 लाख रुपए तक | टैक्स माफ |
2.5 लाख रुपए से ₹5 लाख तक | 5 परसेंट |
₹5 लाख से ₹7.5 लाख तक | 10 परसेंट |
₹7.5 लाख से ₹10 लाख तक | 15 परसेंट |
₹10 लाख से ₹12.5 लाख रुपए तक | 20 परसेंट |
₹12.5 लाख से ₹15 लाख तक | 25 पर सेंट |
₹15 लाख से अधिक | 30 परसेंट |
टैक्स कितने प्रकार के होते हैं? (Tax Kitne Prakar Ke Hote Hain)
व्यक्ति या संगठन को विभिन्न तरीकों से टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। भारत में मुख्य रूप से टैक्स को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। इन दोनों टैक्स की जानकारी निम्नलिखित है:
- प्रत्यक्ष कर / डायरेक्ट टैक्स (Direct Tax) और
- अप्रत्यक्ष कर / इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect Tax)
उपयुक्त टैक्स के प्रकार इस बात पर निर्भर करते हैं कि भारत सरकार को टैक्स का भुगतान कैसे किया जा रहा है।
डायरेक्ट टैक्स (Direct Tax) क्या है?
डायरेक्ट टैक्स जैसे कि इसके नाम से ही पता चलता है कि यह टेक्स टैक्स देने वाला सीधे तौर पर सरकार को देता है। इस प्रकार के टैक्स का सबसे अच्छा उदाहरण इनकम टैक्स या वेल्थ टैक्स। डायरेक्ट टैक्स में टैक्स इनकम का अनुमान लगाना बहुत ही आसान हो जाता है क्योंकि यह करदाता की इनकम से सीधा संबंधित होता है।
प्रत्यक्ष कर या डायरेक्ट टैक्स के प्रकार (Direct Tax Ke Prakar)
प्रत्यक्ष कर में आयकर, कॉर्पोरेट कर, संपत्ति कर, भाग कर और उपहार कर शामिल होते हैं।
- Income Tax: आयकर विभाग द्वारा निर्धारित किए गए टैक्स ब्रैकेट के अनुसार इस कर का भुगतान वही व्यक्ति करता है जिस पर यह लगाया जाता है।
- Corporate Tax: इस प्रकार का टैक्स कंपनियों और निगमों के मुनाफे पर लगाया जाता है।
- Wealth Tax: यह टेक्स किसी भी व्यक्ति की संपत्ति के मूल्य पर लगाया जाता है।
- Estate Tax: विरासत से मिली संपत्ति पर इस प्रकार का कर किसी व्यक्ति पर लगाया जाता है।
- Gift Tax: यह टेक्स कर योग्य उपहार प्राप्त करने वाले व्यक्ति पर लगाया जाता है।
- Fringe Benefit Tax: यह टेक्स नियोक्ता पर लगाया जाता है जो कर्मचारियों को फ्रिंज लाभ प्रदान करता है और इस तरह का टैक्स राज्य सरकार द्वारा एकत्रित किया जाता है।
इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect Tax) क्या है?
इनडायरेक्ट टैक्स को सामान और सेवाओं के उपयोग पर लगाया जाता है। जैसा इसके नाम से ही पता चलता है की इनडायरेक्ट टैक्स उपभोक्ता सीधे सरकार को नहीं देते हैं। सरकार सामान्य सेवाएं बेचने वाले से इनडायरेक्ट टैक्स को प्राप्त करती है और इसके बदले में विक्रेता सामान और सेवाएं खरीदने वाले से टैक्स लेता है।
इनडायरेक्ट टैक्स का सामान्य उदाहरण में सेल्स टैक्स (Sales Tax), GST, VAT आदि शामिल है।
भारत में GST को भी तीन कैटेगरी में बांटा गया है यह है : केंद्रीय माल और सेवा कर(CGST), राज्य माल और सेवा कर(SGST) / केंद्र शासित माल और सेवा कर(UTGST) और एकीकृत माल और सेवा कर(IGST)
अप्रत्यक्ष कर या इनडायरेक्ट टैक्स के प्रकार (Indirect Tax Ke Prakar)
आइए जानते हैं इनडायरेक्ट टैक्स कितने प्रकार के होते हैं? – Indirect Tax Kitne Prakar Ke hote Hain? इस तरह का टैक्स उस व्यक्ति द्वारा चुकाया जाता है जिसने किसी अन्य व्यक्ति से वस्तु और सेवा को लिया हो।
- Excise Duty: इस तरह का टैक्स निर्माता द्वारा दिया जाता है जो रिटेलर और होलसेलर को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
- Sales Tax: इस तरह का टैक्स शॉपकीपर या रिटेलर द्वारा दिया जाता है जो कस्टमर को स्थानांतरित हो जाता है।
- Custom Duty: किसी वस्तु के देश से बाहर जाने पर आयात शुल्क लगाया जाता है जिसका कंज्यूमर और रिटेलर द्वारा भुगतान किया जाता है।
- Entertainment Tax: उदाहरण के लिए इस तरह का टैक्स सिनेमा मालिकों द्वारा दिया जाता है जो सिनेमा देखने वाले लोगों को स्थानांतरित हो जाता है।
- Service Tax: इस तरह का टैक्स उपभोक्ताओं को दी गई सेवाओं पर लगाया जाता है।
भारतीय टैक्स प्रणाली
भारतीय टैक्स प्रणाली एक विकसित योजना है जिसमें केंद्र सरकार व्यक्ति और संस्थाओं से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर को वसूलता है। भारत में कर प्रणाली तीन स्तरीय संघीय रचना है जिसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय नगर निकाय सम्मिलित है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 256 के अनुसार “कानून के अधिकार के बाहर किसी भी तरह का कोई कर नहीं लगाया जा सकता और ना ही एकत्र किया जा सकता है”।
भारत सरकार ने 2017 में जीएसटी (GST) को पेश किया था जो स्वतंत्र भारत में अब तक का सबसे अच्छा कर सुधार है। इससे पहले विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने के लिए विभिन्न वस्तुओं के लिए अलग-अलग तरह के टैक्स लगाए हुए थे जिसके कारण टैक्स की प्रक्रिया बहुत कठिन थी। लेकिन जीएसटी के लागू होने के बाद टैक्स चोरी करने वालों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
टैक्स के फायदे (Tax Ke Fayde)
टेक्स वह राशि होती है जिस पर सरकार चलती है और इसलिए एक जिम्मेदार नागरिक कि जिम्मेदारी बनती है कि वह अपना टैक्स सुनिश्चित समय पर भरे। टैक्स का भुगतान करने के निम्नलिखित फायदे होते हैं:
- आपके द्वारा भरा गया टैक्स सुनिश्चित करता है कि सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं बिना किसी बाधा के चलती रहे।
- लोन लेते समय बैंक के कोई भी वित्तीय संस्था सबसे पहले आपकी आय को देखती है और उसके हिसाब से ही आपको लोन दिया जाता है। ऐसे में आपके द्वारा फाइल किया इनकम टैक्स रिटर्न काम आ जाता है क्योंकि ITR से आपकी आमदनी की पुष्टि हो सकती है।
- इस टैक्स की राशि से सरकार अपने नागरिकों को अच्छी सुविधाएं प्रदान कर सकती है जिससे उनकी जीवन शैली के स्तर में सुधार करने में मदद होगी।
- सरकार को ऐसे बहुत से कार्य करने होते हैं जिसके लिए धन की आवश्यकता होती है ऐसे में आपके द्वारा दिया गया कर का उपयोग नागरिकों की सुरक्षा, प्रशासनिक सेवाओं, सेनाओं आदि के लिए किया जा सकता है।
- लोन के अतिरिक्त यदि आप जीवन बीमा कवर लेना चाहते हैं तो भी आइटीआर आपके लिए काफी मददगार हो सकता है क्योंकि बीमा कंपनियां आइटीआर के माध्यम से आपकी आय और आपकी नियमितता परखती है।
इस ब्लॉग पोस्ट में हमने जाना कि भारत में टैक्स कितने प्रकार के होते हैं? – Bharat Mein Tax Kitne Prakar Ke Hote Hain?। मुझे उम्मीद है कि आप को इस पोस्ट से काफी सहायता प्राप्त हुई होगी और आपको टैक्स के प्रकार (Tax Ke Prakar) से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त हो गई होगी। आप इससे संबंधित अपने सवाल कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम से पूछ सकते हैं और इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते हैं।
FAQ: टैक्स कितने प्रकार के होते हैं? | Tax Kitne Prakar Ke Hote Hain? से संबंधित सभी प्रकार के प्रश्न:
कर कितने प्रकार के होते हैं?
भारत में दो प्रकार के कर होते हैं: प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) और अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)।
क्या भारत में सभी को टैक्स देना होता है?
जी हां! भारत में सभी लोग किसी ना किसी तरह के टैक्स का भुगतान करते हैं। जबकि कुछ टैक्स जैसे की इनकम टैक्स न्यूनतम छूट की सीमा के साथ आते हैं। इसका मतलब यह है कि यदि आप की सालाना आय एक निश्चित राशि से कम है तो आपको इनकम टैक्स नहीं देना है।
भारत में टैक्स रेट कौन तय करता है?
भारत में टैक्स तय करने का अंतिम निर्णय भारत सरकार द्वारा किया जाता है। हालांकि कई विभाग इसमें भारत सरकार को सुझाव देती है जैसे कि CBDT और GST परिषद।
प्रोग्रेसिव टैक्स क्या है?
प्रोग्रेसिव टैक्स में आए के बढ़ने के साथ टैक्स भी बढ़ता है। भारत में इनकम टैक्स व्यक्ति के आय के बढ़ने के साथ बढ़ती है इसलिए यह प्रोग्रेसिव टैक्स सबसे अच्छा उदाहरण है।
जीएसटी कितने प्रकार के होते हैं?
जीएसटी (GST) के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं: CGST (केंद्रीय माल और सेवा कर), SGST (राज्य माल और सेवा कर) या UTGST (केंद्रीय शासित माल और सेवा कर) और IGST (एकीकृत माल और सेवा कर)।